. तुलसी दास के शरीर और मन के बारे में क्या विचार हैं?
please answer it
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इस बात ने तुलसी को “गोस्वामी तुलसीदास” बना दिया। “अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति ! अर्थात्, मेरा शरीर चमड़े से बना है, जो नश्वर है, फिर भी इस त्वचा से बहुत अधिक लगाव है. अगर आपने मेरा ध्यान छोड़ कर राम के नाम का ध्यान किया होता तो आप भवसागर से पार हो जाते।
supriya4528:
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