तुलसी दास 'कवितावली 'की दो भाषागत विशेषता बताओ?
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भाषा- तुलसी ने ब्रज एवं अवधी दोनों ही भाषाओ में रचनाएँ कीं। उनका महाकाव्य श्रीरामचरितमानस' अवधी-भाषा में लिखा गया है। 'विनयपत्रिका', 'गीतावली' और 'कवितावली' में ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है। मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा के प्रभाव में विशेष वृद्धि हुई है।
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'कवितावली' में ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।
तुलसी दास 'कवितावली 'की दो भाषागत विशेषता:
- उनकी अद्भुत 'श्री रामचरितमानस' अवधी-भाषा में लिखी गई है।
- 'विनय पत्रिका', 'गीतावली' और 'कवितावली' में ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।
- कहावतों और कहावतों के उपयोग ने भाषा के प्रभाव का विस्तार किया है।
- भाषा-तुलसी ब्रज और अवधी दोनों बोलियों में बनती है।
तुलसीदास जी की सुन्दर भाषा की विशेषता क्या है?
- तुलसी की प्यारी भाषा के बारे में शुक्ल जी ने इन पंक्तियों के साथ अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है - "गोस्वामी जी का सबसे बड़ा घटक भाषा की शुद्धता और व्याकरण की निर्दोषता है जो हिंदी के किसी अन्य कलाकार में नहीं पाई जाती है।
- बनाया- ऊपर की भाषा में किसी अन्य व्यक्ति के साथ जगह नहीं है।
- प्रत्येक व्यवस्था इसके उदाहरण हैं।
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