तुलसीदास ने मानवीय संबंधों का आदर्श प्रस्तुत किया है सिद्ध कीजिए
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तुलसीदास ने आदर्श राजा के रूप में मर्यादा पुरुषोतम राम के रूप में चित्रण किया है,जो दूसरों के कष्टों को दूर करने वाले, त्याग, उदारता और परोपकार की भावना रखने वाले हैं। तुलसीदास समाज को एक आदर्श कलेवर देना चाहते थे, जिससे सामाजिक मर्यादा बनी रहे। इसके लिए उन्होंने रामराज्य की परिकल्पना की।
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तुलसीदास ने मानवीय संबंधों का आदर्श प्रस्तुत किया है ब नीचे दिए गए हैं:
- तुलसीदास भारतीय समाज और संस्कृति के जहाँ एक ओर उन्नायक हैं वहीं दूसरी ओर सुधारक भी हैं। तत्कालीन समाज में व्याप्त विसंगतियों, कुरीतियों, ऊँच-नीच, छुआछूत जाति-पाति के भेदभाव को दूर करके तुलसीदास ने एक स्वस्थ समाज की स्थापना की।
- तुलसी के युग में जनता मुगलों के शोषण और आतंक से भयभीत थी। समाज में फैली विकृतियाँ, विसंगतियाँ, नैतिक विडम्बनाएँ यथा-ढ़ोंग, पाखण्ड़ और कर्मकांड की जड़ता से सामाजिक संबंधों का पतन हो रहा था। भारतीय समाज रूढ़ियों और धार्मिक बेड़ियों में जकड़ गया था। इन परिस्थितियों का तुलसीदास ने ड़टकर सामना किया और राम जैसे मर्यादित चरित्र से समाज की चेतना को आलोकित किया।
- तुलसी ने जिस समाज की कल्पना की थी उसे उजागर करते हुए डाॅ. राजपत दीक्षित ने लिखा है कि - ‘‘तुलसीदास का सारा प्रयास जनता जनार्दन के मानस परिष्कार के लिए था। वह जिस समाज की कल्पना करके चले वह स्वार्थ-त्याग और बलिदान सिखाने वाला था और उन्होंने जिस राज्य की भावना की थी वह लोकाराधन के लिए राज्य, सुख, राग आदि सबको निछावर कर देने वाला था। उन्होंने राजा और प्रजा के लिए जो आदर्श रखा था वह संक्षेप में प्राचीन वर्ण-व्यवस्था का पुनरूज्जीवक और रामराज्य का प्रस्थापक था।’’
एई था, तुलसीदास ने मानवीय संबंधों का आदर्श प्रस्तुत
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