तुलसीदास और रहीम के दोहों का हमारे जीवन मेंं किया महत्व है?
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रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास अपने दोहे के लिए भी बहुप्रचलित है, Tulsidas ke Dohe बहुत ही उम्दा, ज्ञानवर्धक और जीवन को उत्कृष्ट बनानेवाले है ।इसलिए आज हम आप सभी प्रिय पाठकों के लिए तुलसीदास के दोहे अर्थ सहित लेकर उपस्थित हुए है, जो आपको बहुत ही पसंद आएंगे ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है ।तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर ।
बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर ।
तुलसीदास जी कहते हैं कि मधुर वाणी सभी ओर सुख प्रकाशित करती हैं और यह हर किसी को अपनी और सम्मोहित करने का कारगर मंत्र है इसलिए हर मनुष्य को कटु वाणी त्याग कर मीठे बोल बोलने चाहिए
बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर ।
तुलसीदास जी कहते हैं कि मधुर वाणी सभी ओर सुख प्रकाशित करती हैं और यह हर किसी को अपनी और सम्मोहित करने का कारगर मंत्र है इसलिए हर मनुष्य को कटु वाणी त्याग कर मीठे बोल बोलने चाहिए
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वह समाज सुधार में अपनी भूमिका , अपने दोहे के माध्यम से व्यक्त कर रहे थे। ... रहीम , कबीर दास और तुलसीदास के दर्जे के कवि हैं। इन्होंने समाज के घटते मूल्यों की ओर अपना दृष्टिपात किया है और लोगों को स्पष्ट संकेत दिया है , कि वह किस प्रकार से अपने जीवन को सुधार सकते हैं।
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