तुम 454 प्रेमनगर जोधपुर की निवासियों सुमेधा हो। तुम्हे तुम्हारी सखी रंजना नं पत्र द्वारा बधाई भेजी है। जिसमें तुम्हे और अधिक आगे बढ़ने की प्ररेणा दी गई। अपनी सखी को इस बधाई पत्र के प्रत्युत्तर में एक कृतज्ञता पत्र लिखिए।
Answers
सुमेधा
454 प्रेमनगर
जोधपुर
10 मार्च 2012
प्रिय रंजना
सस्नेह स्मरण !
तुम्हारा बधाई पत्र मिला। पढ़कर अपार प्रसन्नता मिली। यूँ तो आजकल मैं बहुत खुश हूँ क्योकि ढेर सारे बधाई संदेश मिल रहे है विद्यालय से मित्रों अध्यापकों से परिचितों से अपरिचितं से। सभी मेरी पीठ थपथपा रहें हैं। परंतु तुम्हारे बधाई पत्र को पाकर मैं सचमुच बहुत प्रसन्न हूँ। क्योकि तुम्हारे शब्दों को मैं बहुत महत्व देती हूँ। तुम्हारी प्ररेणा से ही मैंने इस दिशा में इतनी उन्नति की है। तुमने सफ़लता में ही नही असफ़लता के क्षणो मे भी मुझे उत्साह दिया है। मेरी इस सफ़लता में तुम्हारे उत्साह बल न होता तो शायद आज मैं इस शिखर पर न पहुँच सकती।
तुम्हारे बधाई पत्र के लिए कैसें कृतज्ञता व्यक्त करूँ। शब्दों में सामर्थ्य नही वचन हो रहे बौने।
मम्मी पापा को सादर नमस्कार।
तुम्हारी
सुमेधा
सुमेधा
454 प्रेमनगर
जोधपुर
10 मार्च 2012
प्रिय रंजना
सस्नेह स्मरण !
तुम्हारा बधाई पत्र मिला। पढ़कर अपार प्रसन्नता मिली। यूँ तो आजकल मैं बहुत खुश हूँ क्योकि ढेर सारे बधाई संदेश मिल रहे है विद्यालय से मित्रों अध्यापकों से परिचितों से अपरिचितं से। सभी मेरी पीठ थपथपा रहें हैं। परंतु तुम्हारे बधाई पत्र को पाकर मैं सचमुच बहुत प्रसन्न हूँ। क्योकि तुम्हारे शब्दों को मैं बहुत महत्व देती हूँ। तुम्हारी प्ररेणा से ही मैंने इस दिशा में इतनी उन्नति की है। तुमने सफ़लता में ही नही असफ़लता के क्षणो मे भी मुझे उत्साह दिया है। मेरी इस सफ़लता में तुम्हारे उत्साह बल न होता तो शायद आज मैं इस शिखर पर न पहुँच सकती।
तुम्हारे बधाई पत्र के लिए कैसें कृतज्ञता व्यक्त करूँ। शब्दों में सामर्थ्य नही वचन हो रहे बौने।
मम्मी पापा को सादर नमस्कार।
तुम्हारी
सुमेधा