तुम भी शब्द संपदा के--------------- । *
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वाचन-संस्कृति बढ़ाने से स्वयं की शब्द संपदा में वृद्धि होती है। शब्द संपदा की वृद्धि होने पर हमारी समझ बढ़ती है कि किस समय, किसके सामने, किस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। इससे हमारे चरित्र, बुद्धिमत्ता, समझ, संस्कार समृद्ध, सुंदर व सुगठित होते हैं।
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मालिक हो जाओगे
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