तुम चंदन हम पानी किस विधा की रचना है
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Anup jalota wrote this line.i
mark as braniliest
its a ganga bhajan
Answer: यह पंक्ति रेदास जी के दोहे की है| तुम चंदन हम पानी" नामक दोहा अपनी हिंदी और उर्दू धुनों के लिए प्रसिद्ध है।
Explanation: चंदन और पानी दो ऐसी चीजें हैं जो इस दोहे में एक दूसरे से अलग हैं। पानी में जहां कोई स्वाद नहीं होता, वहीं चंदन की सुगंध अलग होती है। दोहे का तात्पर्य है कि यद्यपि जल और चन्दन अलग-अलग हैं, फिर भी दोनों आवश्यक हैं। इसी तरह, भले ही हम में से हर कोई अपने तरीके से अद्वितीय है, हम सभी की जरूरतें हैं। यह दोहा सद्भाव और सहयोग के मूल्य पर जोर देता है।
हिंदी और उर्दू शायरी में, "तुम चंदन हम पानी" अलंकारिक रूप से प्रयोग किया जाता है।
दोहा दो अलग-अलग चीजों, चंदनऔर पानी की तुलना करता है, जिनमें काफी अलग गुण होते हैं फिर भी दोनों अपने आप में आवश्यक हैं। पानी में कोई स्वाद या गंध नहीं होती है, लेकिन चंदन सुगंधित और स्वादिष्ट होता है। इस दोहे का संदेश यह है कि प्रकृति और व्यवहार में हमारे अंतर के बावजूद, हम सभी जुड़े हुए हैं और समाज में संतुलन और शांति बनाए रखने के लिए एक दूसरे की मदद करनी चाहिए।
यह पंक्ति जिस दोहे से ली गई है वो है -
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥
प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा॥
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती॥
प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।
प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा। ऐसी भक्ति करै 'रैदासा॥
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