Hindi, asked by cmm458vindh, 7 days ago

तुम्हारी मनोकामना पूर्ण हुई मैं प्रताप के सामने हार गया शक्ति सिंह ने शिविर में लौटकर अपनी पत्नी से ऐसा क्यों कहा?

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Answered by cutekhushi62
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पूज्य गुरुदेव एक नहीं, अपितु अनेक शरीरों से काम करते थे। सन् 1984 में परम पूज्य गुरुदेव ने सूक्ष्मीकरण साधना की थी। उस साधना के कुछ विशिष्ट प्रयोजन थे, जिनका वर्णन भी उन्होंने उस वर्ष की अखण्ड ज्योति पत्रिकाओं में किया है। उसके विषय में अखण्ड ज्योति, जुलाई 1984 पृ. 2 पर वे लिखते हैं-‘‘हमारी सूक्ष्मीकरण प्रक्रिया का प्रयोजन पाँच कोशों पर आधारित सामर्थ्यों को अनेक गुनी कर देना है। मनुष्य में पाँच कोश हैं। अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, आनंदमय। मोटे तौर से सभी कोशों के जागृत होने पर एक मनुष्य को पाँच गुनी सामर्थ्य सम्पन्न माना जाता है। पर दिव्य गणित के हिसाब से 5x5x5x5x5=3125 गुणा हो जाता है। चेतना के पाँच प्राण भी शरीर की परिधि में बँधे रहने तक पाँच विज्ञजनों जितना ही होते हैं, पर सूक्ष्मीकृत होने पर गणित की परिपाटी बदल जाती है और एक सूक्ष्म शरीर की प्रखर सत्ता 3125 गुनी हो जाती है। यह कार्य युग परिवर्तन प्रयोजन में भगवान् की सहायता करने के लिये मिला है। इस अवधि में हमें न बूढ़ा होना है, न मरना। अपनी 3125 गुनी शक्ति के अनुसार काम करना है।’’ ‘‘हमारे मार्गदर्शक की आयु 600 वर्ष से ऊपर है। उनका सूक्ष्म शरीर ही हमारी रूह में है। हर घड़ी पीछे और सिर पर उनकी छाया विद्यमान है। कोई कारण नहीं कि ठीक इसी प्रकार हम अपनी उपलब्ध सामर्थ्य का सत्पात्रों के लिये सत्प्रयोजनों में लगाने हेतु उपयोग न करते रहें।’’

यह रहस्योद्घाटन भले ही उन्होंने 1984 में किया, किन्तु अपने नैष्ठिक परिजनों के सम्मुख वे स्वयं को प्रारंभ से ही प्रकट करते रहे है

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