Hindi, asked by shivananddhurve2013, 8 months ago

"तुम हमें बड़ा आदमी समझते हो। हमारे नाम बड़े हैं पर दर्शन थोड़े। गरीब में अगर ईर्ष्या या बैर है
तो स्वार्थ के लिए या पेट के लिए ऐसी ईर्ष्या या बैर को में क्षम्य समझता हूँ। हमारे मुहँ की रोटी कोई छीन
ले, तो उसके गले में उंगली डालकर निकालना हमारा धर्म हो जाता है। अगर हम छोड़ दें तो देवता हैं। बड़े
आदमियों की ईर्ष्या और बैर केवल आनंद के लिए है। हम इतने बड़े आदमी हो गये हैं कि हमें नीचता और
कुटिलता में ही निःस्वार्थ और परम आनंद मिलता है। हम देवतापन के उस दर्जे पर पहुंच गए हैं। जब हमें
दूसरों के रोने पर हँसी आती है। इसे तुम छोटी साधना मत समझो”।​

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Answered by vinitashrivastava197
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............. ???............

Answered by NiyatiBhala
0

Answer:

✌✌Well written

Explanation:

I think this

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