तुम क्या समझते हो कि वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं । उन्हें इतना बड़ा बनाने के लिए मेरे असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण न्यौछावर किए हैं।" मैं बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहा था। सच ही है उसके लिए हर व्यक्ति ने कुछ न कुछ त्याग किया है।
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तुम क्या समझते हो कि वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं । उन्हें इतना बड़ा बनाने के लिए मेरे असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण न्यौछावर किए हैं।" मैं बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहा था। सच ही है उसके लिए हर व्यक्ति ने कुछ न कुछ त्याग किया है।
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तुम क्या समझते हो कि वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं । उन्हें इतना बड़ा बनाने के लिए मेरे असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण न्यौछावर किए हैं।" मैं बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहा था। सच ही है उसके लिए हर व्यक्ति ने कुछ न कुछ त्याग किया है।
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