Hindi, asked by lalitpatidar141983, 13 hours ago

तुम कब जाओगे, अतिथि 'एक व्यंग्य कथा है, घटना है, जिस पढ़ते हुए दृश्य आँखों के सामने तिरते-से प्रतीत होते हैं। आप इस व्यंग्य को आगे बढ़ाएँ अर्थात अपनी कल्पना से और घटनाओं का निर्माण करें|
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Answered by kanchandchaudhari
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Answer:

इस पाठ में लेखक कहना चाहता है कि अतिथि हमेशा भगवान् नहीं होते क्योंकि लेखक के घर पर आया हुआ अतिथि चार दिन होने पर भी जाने का नाम नहीं ले रहा है। पाँचवे दिन लेखक अपने मन में अतिथि से कहता है कि यदि पाँचवे दिन भी अतिथि नहीं गया तो शायद लेखक अपनी मर्यादा भूल जाएगा। इस पाठ में लेखक ने अपनी परेशानी को पाठको से साँझा किया है |

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