'तुम कब जाओगे, अतिथि' पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
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तुम कब जाओगे अतिथि पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए
Answer. 'तुम कब जाओगे, अतिथि' व्यंग्यात्मक कहानी के लेखक 'शरद जोशी' हैं। 'तुम कब जाओगे, अतिथि' व्यंग्यात्मक कहानी के माध्यम से लेखक 'शरद जोशी' ये शिक्षा देना चाहते हैं, अतिथि को किसी के घर अधिक समय नही रुकना चाहिये। ... लेखक ये कहना चाहते हैं कि हम भी यदि किसी के घर जायें तो ज्यादा समय तक रहकर किसी को तकलीफ न दें।
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तुम तुम कब जाओगे अतिथि में लेखक अतिथि से कहते हैं कि अतिथि तुम मेरा काफी खर्चा करवा दिया है कई दिनों से हमारे घर पर रुक रहे हो अब तो चले जाओ। इस पाठ के माध्यम से अतिथि से कहते हैं कि अतिथि अतिथि बनना चाहिए।उसे एक अच्छा अतिथि बनकर अपने मेजबान पर बोझ नहीं डालना चाहिए । अच्छे अतिथि की तरह एक रात रुक के फिर दूसरे दिन चले जाना ही सही होगा वरना वह अपने गुस्से को काबू में नहीं रख पाएंगे तथा उसे अपशब्द कह देंगे । अतिथि तुम जल्दी चले जाओ।