तुम लोग जो नेता को चाहते हैं? तेया
नेता पर एक निबंध लिखिर
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नेता का तात्पर्य नेतृत्व क्षमता से युक्त व्यक्ति जो सर्वमान्य तो होता ही है साथ ही उसमें सभी को साथ लेकर चलने की काबिलियत भी होती हैं. एक सफल नेता के लिए अच्छा वक्ता होना भी अहम गुण माना जाता है तभी वह अपनी बात उसी रूप में दूसरों तक पहुंचा पाता हैं.
समाज के सभी वर्गों की स्वीकार्यता एवं ईमानदार छवि भी एक नेता के लिए अनिवार्य शर्त मानी जाती हैं. यदि हम सफल नेता की इन सभी कसौटियों पर आज के हमारे नेतृत्व को परखे तो सम्भवतः कुछ ही नाम सामने आएगे, जिनमें एक नेता हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हैं. जो मेरे सबसे प्रिय नेता हैं.
आम लोगों की भीड़ से निकला एक नवयुवक जिसनें पार्टी के छोटे से कार्यकर्ता के रूप में ईमानदारी से काम करते हुए विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की दूसरी बार कमान संभाली वो व्यक्तित्व कोई आम हो ही नहीं सकता.
प्रखर राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रेत ने भले ही रेलवे स्टेशन पर चाय बेचकर अपना आरम्भिक जीवन शुरू किया मगर अपने लक्ष्य हमेशा ऊँचे ही रखे. आज भी वो तस्वीर आँखों के समक्ष आ जाती है जब एक शेर की भांति 90 के दशक में माननीय मोदीजी ने कट्टरपंथियों के गिरफ्त में श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराकर राष्ट्र द्रोहियों को चुनौती दी थी कि अपनी माँ का दूध पिया हो तो रोक लो.
इंसान अपने विचारों और कर्मों से जाना जाता हैं. एक जनप्रिय नेता के रूप में नरेंद्र मोदी जितने उच्च विचारों के धनी है उतने ही कार्यकुशल, कर्मठ और मेहनती भी हैं. भारत ही नहीं विश्व की राजनीति के इतिहास में ऐसा कोई चमत्कारी राजनेता नहीं हुआ होगा जिसने एक दशक तक एकछत्र राज किया हो.
लोकतंत्र के सबसे बड़े त्यौहार कहे जाने वाले चुनावों में जनता को हर प्रत्याशी में नरेंद्र मोदी दिखना अपने आप में विलक्षण भावना थी, अपने नेता के प्रति जनता का इतना अटूट भरोसा सम्भवतः कभी नहीं रहा होगा.
हाल ही के दिनों में अख़बार में खबर छपी थी कि तमिलनाडू के एक किसान ने नरेंद्र मोदी का मन्दिर बनाकर उसमें वह रोजाना मोदीजी की पूजा करता हैं. किसी इंसान के प्रति भक्ति एवं अटूट श्रद्धा का भाव करोड़ो भारतीयों में आज भी देखा जा सकता हैं.
17 सितंबर 1950 को बडनगर में जन्में मोदीजी बचपन में स्कूल से आने के बाद तथा छुट्टी के दिन भाई के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे. धर्म के प्रति इनका गहरा लगाव बचपन से ही था. जब ये 17 वर्ष के थे तो इन्होने घर छोड़कर हिमालय चले गये तथा दो वर्षों तक वहीँ रहे. मोदीजी जब लौटकर आए तो उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद ग्रेजुएशन की तथा इसी समय वे आरएसएस से भी जुड़े.
युवावस्था में मोदीजी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विभिन्न छात्र संगठनों से जुड़े रहे. इसके बाद ये भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और 2001 में राज्य के मुख्यमंत्री भी बने. हिन्दू मुस्लिम दंगे भी इसी वर्ष हुए इस कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा.
जनता का उनके प्रति अटूट भरोसा तब भी था इसलिए तमाम आरोप प्रत्यारोप के बाद भी मोदीजी दुबारा चुन कर आए और लगातार तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए एक नयें विकास मॉडल को प्रस्तुत किया, जो बाद में गुजरात विकास मॉडल के रूप में देशभर में चर्चित रहा.
नरेंद्र मोदी का राजनीतिक जीवन कोई संयोग नहीं बल्कि कठिनाइयों से भरा था. एक कर्मयोगी की भांति अपने काम और भविष्य की योजनाओं के दम पर उन्होंने सदैव जनहित के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया.
जब 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार चुना तो भारतीय राजनीति के नयें दौर की शुरुआत मानो तभी हो गई. हर हर मोदी, घर घर मोदी, अच्छे दिन आने वाले है जैसे जनप्रिय स्लो गन लोगों के जेहन में उतर गये थे. नयें तरीके से चुनाव प्रचार देश में ऐसा चला कि अच्छे अच्छे राजनीति के पंडित और उनका अनुभव व भविष्यवानियाँ धरी की धरी रह गई.
इस तरह मोदीजी ने 2014 में भारी बहुमत के साथ एनडीए घटक दलों के साथ सरकार बनाई. ये देश के 15 वें प्रधानमंत्री बने. मोदीजी की एक खूबी मुझे बेहद प्रिय है वह है उनका साहस, कभी भी कड़े निर्णय लेने से वे न तो घबराते है और ना ही निर्णय लेने के बाद पीछे हटते हैं. 2014 के चुनावों में उनका सीधा मुकाबला 60 वर्षों तक भारत पर शासन करने वाले सत्ताधारी परिवार से था.
मगर जनता के प्रति उनके भरोसे और स्वच्छ छवि ने कांग्रेस को बिना लड़े ही परास्त कर दिया. उनकी जीत का एक बड़ा कारण उनकी भाषण शैली व व्यक्तित्व भी हैं. वे सदैव हिंदी में भाषण देते है देश के करोड़ों लोगों को यह अपनेपन का एहसास दिलाता हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के बाद हिंदी भाषी दूसरे प्रधानमंत्री मोदीजी ही हैं जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हिंदी का मान बढ़ाया जो हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय हैं.
आमजन की संवेदना, संस्कार, कार्यकुशलता और सुझबुझ में नरेंद्र मोदी जैसा नेता आज के भारत में दूसरा नहीं हैं. गैर राजनीतिक परिपाटी से जब पहली बार प्रधानमंत्री बनकर संसद पहुंचे तो झुककर लोकतंत्र के मन्दिर को प्रणाम करना राजनेताओं के लिए प्रेरणा का पल था.
उनके पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री रहते देश में कई बड़े कार्य हुए स्वच्छता और अर्थव्यवस्था की बंधकों की मुक्ति तथा डिजिटल भारत के लिए कई योजनाएं चलाई गई. गरीबो के लिए बिजली, घर, गैस कनेक्शन किसानों के लिए सम्मान निधि, छात्रों के लिए स्कोलरशिप, वृद्धों के लिए पेंशन इस तरह समाज के सभी वर्गों को अपनी योजनाओं का लाभार्थी बनाया.