‘तुमुल’ खण्डकाव्य के ‘राम-विलाप और सौमित्रि का उपचार’ सर्ग की (द्वाद्वश सर्ग) की कथा लिखिए ।
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गुजरात प्रान्त में जन्मे महात्मा गाँधी से ये कर्मयोग के सिद्धान्त की प्रेरणा पाकर जीवन के संघर्ष की प्रेरणा लेते हैं। इन्हें गाँधीजी का शुभाशीष, सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, समानता, ममता आदि के रूप में उसी प्रकार प्राप्त हुआ है, जैसे राम को वशिष्ठ का शुभाशीष प्राप्त हुआ था।
महाराष्ट्र ने उन्हें वीर शिवाजी की तलवार के रूप में शक्ति प्रदान की, जिससे वे विदेशी शक्तियों से उसी प्रकार लोहा लेते रहे; जिस प्रकार वीर शिवाजी ने औरंगजेब से लोहा लिया था।
नेहरू जी ने राजस्थान से संघर्षों में जीना सीखा तथा यहाँ के महापुरुषों से संकटों में अपने पथ से किसी भी प्रकार से विचलित न होने की शिक्षा ली। हल्दीघाटी की माटी वीर जवाहर को स्वतन्त्रता पर मिटने की भावनी देती है।
राजस्थान उन्हें भारत की सम्पूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहर के रूप में पवित्र कला, जौहर-व्रत, स्वामिभक्ति और त्याग सौंपता है। वह राणा साँगा, कुम्भा, जयमल और महाराणा प्रताप का शौर्य तथा त्याग उनको प्रदान करता है।
सतपुड़ा राज्य भारत की अखण्डता की घोषणा करता है।