Hindi, asked by govindchitodiya1214, 5 hours ago

तुम मांस-हीन, तुम रक्तहीन,
हे अस्थि-शेष! तुम अस्थिहीन,
तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल,
हे चिर पुराण, हे चिर नवीन!
पंक्तियो का अर्थ बताईय ​

Answers

Answered by sumeetrawat126
3

Answer:

upppppper dekh answer hai dekh le

Answered by santoshkumarpandey95
0

Answer:

कवि पन्त जी राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को नमन करते हुए कहते हैं कि हे महात्मन ! तुम्हारे शरीर में मॉस और रक्त का अभाव है । तुम हड्डियों का ढांचा मात्रा हो । तुम्हे देखा ऐसा आभास होता है कि तुम्हारा शरीर हड्डियो से रहित है तुम पवित्रता एवं उन्तम ज्ञान से परिपूर्ण केवल आत्मा हो।

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