"तुम पर करने लगूं न संशय, यह विनती स्वीकार करो।” इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
कवि भगवान से क्या-क्या नहीं माँग रहा है?
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maens bhagwan mujha tum par sanday nahi ha yaha mere vinti savikar karo (atmtran poem)
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