Hindi, asked by rockybhai0321140, 2 months ago

'तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं पंक्तियों में निहित व्यंग्य को
स्पष्ट कीजिए।​

Answers

Answered by bhatiamona
80

'तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं, इन पंक्तियों में निहित व्यंग्य इस प्रकार है कि पर्दे के संबंध में लोगों का अलग-अलग महत्व है। कुछ लोग परदे को इज्जत मान-मर्यादा से जोड़ते हैं और इज्जत मान-मर्यादा को अपना सर्वस्व मानते हैं। ऐसे लोग इज्जत, मान-मर्यादा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

वहीं दूसरी तरफ समाज में ऐसे लोग भी हैं, जिनके लिए इज्जत, मान-मर्यादा का कोई महत्व नहीं। वे पर्दे का महत्व नहीं जानते।

यहाँ पर पर्दा इज्जत, मान-मर्यादा के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल हुआ है।

Answered by qwstoke
18

'तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं पंक्तियों में निहित व्यंग्य को निम्न प्रकार से

स्पष्ट किया गया है

- दी गई पंक्तियों में पर्दे का अर्थ इज्जत से है कुछ लोगों के लिए इज्जत, मा मर्यादा सब कुछ होती है वे अपनी मा मर्यादा बचाने के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देते है

- कुछ लोगों को अपनी इज्जत की परवाह नहीं होती। वे निडर होकर जो करना चाहते है , करते है।

- इन पंक्तियों में समाज में आडंबर करने वालों पर व्यंग्य कसा गया है।

- ऐसे लोग मुखौटा लगाकर घूमते है, अपने असली चेहरे पर दिखावे की परत लगाए फिरते है।

- जो लोग अपनी कमियों को ढकते रहते है उन्हें पर्दे का महत्व पता है, जो लोग अपनी कमियों को नहीं ढकते उन्हें पर्दे का महत्व नहीं पता होता।

प्रेमचन्दजी के फटे जूते

- हरिशंकर परसाई जी ने " प्रेमचंद के फटे जूते " इस रचना में प्रेमचंद जी ना एक शब्द चित्र प्रस्तुत किया है जिससे प्रेमचंद का व्यक्तित्व उभर कर सामने आता है।

- प्रेमचन्दजी दिखावे व आडंबर से हमेशा दूर रहते थे। उनकी जीवनी साधारण व सरल थी। एक बार वे तस्वीर खिंचवाने गए तब उनके दाहिने पैर के जूते फटे हुए थे, जूते में से उंगली बाहर निकाल रही थी, फिर भी उन्होंने अपने पैर छुपाए नहीं।

- लोग तस्वीर खिंचवाने जाते है तो इत्र लगाकर जाते है जबकि इत्र तस्वीर में नहीं दिखती।

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