तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं! कहकर लेखक ने किस पर व्यंग्य किया है?
a) लोगों पर
b) प्रेमचंद पर
c) दुनिया पर
d) स्वयं पर
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c option is the right answer
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Heya!!
Here's your answer..
Option d)
Explanation:
तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं! कहकर लेखक ने स्वयं पर व्यंग्य किया है।
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