तुम ऊर्जा के किस-किस स्रोत का उपयोग करते हो?
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ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की माँग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में ऊर्जा का उपयोग मुख्य रूप से खाना बनाने, प्रकाश की व्यवस्था करने और कृषि कार्य में किया जा रहा है। 75 प्रतिशत ऊर्जा की खपत खाना बनाने और प्रकाश करने हेतु, उपयोग में लाया जा रहा है। ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बिजली के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर उपलब्ध जैव ईंधन एवं केरोसिन आदि का भी उपयोग ग्रामीण परिवारों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है। कृषि क्षेत्र में ऊर्जा का उपयोग मुख्यतः पानी निकालने के काम में किया जाता है। इन कार्यों में बिजली और डीज़ल भी उपयोग में लाया जा रहा है। देश में कृषि कार्यों में मानव शक्ति बड़े पैमाने पर व्यर्थ चला जाता है। यद्यपि ऊर्जा उपयोग का स्तर गाँव के भीतर अलग-अलग है, जैसे अमीर और गरीबों के बीच, सिंचाईपरक भूमि और सूखी भूमि के बीच, महिलाओं और पुरुषों के बीच आदि।
ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग होने वाले लगभग 80 प्रतिशत ऊर्जा बायोमास से उत्पन्न होता है। इससे गाँव में पहले से बिगड़ रही वनस्पति की स्थिति पर और दबाव बढ़ता जा रहा है। गैर उन्नत चूल्हा, लकड़ी इकट्ठा करने वाली महिलाएँ एवं बच्चों की कठिनाई को और अधिक बढ़ा देती है। सबसे अधिक, खाना पकाते समय इन घरेलू चूल्हों से निकलने वाला धुंआँ महिलाओं और बच्चों के श्वसन तंत्र को काफी हद तक प्रभावित करता है।
नवीनीकृत ऊर्जा
अक्षय ऊर्जा प्राकृतिक प्रक्रिया के तहत सौर, पवन, सागर, पनबिजली, बायोमास, भूतापीय संसाधनों और जैव ईंधन और हाइड्रोजन से लगातार अंतरनिहित प्राप्त होती रहती है।
सौर ऊर्जा
सूर्य ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है। यह दिन में हमारे घरों में रोशनी प्रदान करता है कपड़े और कृषि उत्पादों को सुखाता है हमें गर्म रखता है इसकी क्षमता इसके आकार से बहुत अधिक है।
लाभ
यह एक बारहमासी, प्राकृतिक स्रोत और मुफ्त है।
यह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
यह प्रदूषण रहित है।
हानियां
मौसम में परिवर्तन आश्रित - इसलिए इनका हमेशा प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
उत्पादक को बहुत अधिक प्रारंभिक निवेश करने की आवश्यकता होती है।
सौर ऊर्जा के उत्पादक उपयोग हेतु प्रौद्योगिकी
सौर्य ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है। सोलर फोटोवोल्टेइक सेल के माध्यम से सौर विकिरण सीधे डीसी करेन्ट में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार, उत्पादित बिजली का उसी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता या उसे बैटरी में स्टोर/जमा कर रखा जा सकता है। संग्रह किये गये सौर ऊर्जा का उपयोग रात में या वैसे समय किया जा सकता जब सौर्य ऊर्जा उपलब्ध नहीं हो। आजकल सोलर फोटोवोल्टेइक सेल का, गाँवों में घरों में प्रकाश कार्य, सड़कों पर रोशनी एवं पानी निकालने के कार्य में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का उपयोग पानी गर्म करने में भी किया जा रहा है।
पवन ऊर्जा
पवन स्थल या समुद्र में बहने वाली हवा की एक गति है। पवन चक्की के ब्लेड जिससे जुड़े होते है उनके घुमाने से पवन चक्की घुमने लगती है जिससे पवन ऊर्जा उत्पन्न होती है । शाफ्ट का यह घुमाव पंप या जनरेटर के माध्यम से होता है तो बिजली उत्पन्न होती है। यह अनुमान है कि भारत में 49,132 मेगावॉट पवन ऊर्जा का उत्पादन करने की क्षमता है।
लाभ
यह पर्यावरण के अनुकूल है ।
इसकी स्वतंत्र रूप और बहुतायत से उपलब्ध।
नुकसान
उच्च निवेश की आवश्यकता।
हवा की गति जो हर समय एक समान नहीं होने से बिजली उत्पादन की क्षमता प्रभावित होती है।