तुमने दिए
जिन गीतों को स्वर
हुए अमर।
भावार्थ:-
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अपने जीवन में अपने परिजन ,हित चिंतक इससे ही एवं अन्य प्रिय व्यक्तियों का होना अत्यंत आवश्यक होता है इनके बगैर कोई भी मनुष्य अपना जीवन सफलतापूर्वक नहीं जी सकता उन्हीं की सहायता से हम अपने जीवन को एक संबल प्रदान करते हैं ऐसे लोगों के प्रति हमारे मन में कृतज्ञता का भाव होना चाहिए और उन्हें बोलना भी नहीं चाहिए उन्हीं लोगों के बेटी बिदाई बातें जीवन संघर्ष अपने जीवन के अमर गीत बन जाते हैं इन पंक्तियों में अच्छे लोगों के साथ को अपने जीवन के गीतों का स्वर कहा गया है
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