तीन-चार फूल हैं, आस-पास धूल हैं,
बाँस हैं, बबूल हैं, घास के
वायु
भी हिलोर से, फूंक दे झकोर दे,
कब्र पर, मज़ार पर, यह दीया बुझे नहीं,
यह किसी शहीद का पुण्य प्राणदान है।
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