तीनो लोको से क्या तात्पर्य है उनके नाम लिखते हुए उनके बारे में संक्षिप्त रूप से लिखिए
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written by ANUPAM SINGH
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Explanation:
तीन लोक में क्या-क्या
प्रश्न- लोक कितने होते हैं? नाम बताओ?
उत्तर- लोक तीन होते हैं-१.ऊध्र्वलोक २. मध्यलोक और ३. अधोलोक
प्रश्न- तीन लोक का आकार कैसा है?
उत्तर- तीन लोक का आकार पुरुषाकार है।
प्रश्न- तीन लोक की ऊँचाई बताते हुए प्रत्येक लोक की अलग-अलग ऊँचाई बतावें?
उत्तर- तीन लोक की ऊँचाई १४ राजु है जिसमें ७ राजु में ऊध्र्वलोक एवं ७ राजु में अधोलोक है इन दोनों के मध्य में ९९ हजार ४० योजन ऊँचा मध्यलोक है जो कि ऊध्र्वलोक का कुछ भाग है।
प्रश्न- तीन लोक में कितने अकृत्रिम चैत्यालय हैं?
उत्तर- तीन लोक में असंख्यात् अकृत्रिम चैत्यालय हैं।
प्रश्न- ऊध्र्व लोक में क्या-क्या है?
उत्तर- ऊध्र्व लोक में १६ स्वर्ग, ९ ग्रैवेयक, ९ अनुदिश और पाँच अनुत्तर हैं जिसके ऊपर सिद्ध शिला है जिसमें अनंतानंत सिद्ध भगवान विराजमान हैं।
प्रश्न- १६ स्वर्गों के नाम बताओ?
उत्तर- सौधर्म, ईशान, सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्म, ब्रह्मोत्तर, लावंत, कापिष्ठ, शुक्र, महाशुक्र, शतार, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण और अच्युत इस प्रकार यह सोलह स्वर्ग हैं।
प्रश्न- ९ ग्रैवेयक व ९ अनुदिश कौन-कौन से हैं?
उत्तर- अधस्तन ३, मध्यम ३ और उपरिम ३ ऐसे नौ ग्रैवेयक हैं। अर्चि, अर्चिमालिनी, वैर, वैरोचन ये चार दिशा में होने से श्रेणीबद्ध एवं सोम, सोमरूप, अंक और स्फटिक ये चार विदिशा में होने से प्रकीर्णक एवं मध्य में आदित्य नाम का विमान है ये ९ अनुदिश हैं।
प्रश्न- पाँच अनुत्तर ने नाम बताओ?
उत्तर- विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित एवं सर्वाद्र्धसिद्धि ये पाँच अनुत्तर विमान हैं।
प्रश्न- स्वर्ग में देवों की पूर्ति कहाँ के जीवों से होती है?
उत्तर- आधा स्वयम्भूरमण द्वीप और सम्पूर्ण स्वम्भूरमण समुद्र में असंख्यातों पंचेन्द्रिय तिर्यंच हैं जो अगर सम्यग्दृष्टि, देशवृती या अणुव्रती हो जायें तो उनसे स्वर्ग के देवों की पूर्ति होती है।
प्रश्न- प्रत्येक अकृत्रिम चैत्यालय में कितनी प्रतिमायें होती हैं?
उत्तर- प्रत्येक आकृत्रिम चैत्यालय में १०८-१०८ प्रतिमायें होती हैं।
प्रश्न- देव कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- देव चार प्रकार के होते हैं-भवनवासी, व्यन्तरवासी, ज्योर्तिवासी और कल्पवासी।
प्रश्न- भवनवासी देव कहाँ रहते हैं?
उत्तर- अधोलोक की रत्नप्रभा पृथ्वी के खर भाग में असुरकुमार जाति के देवों को छोड़कर नौ प्रकार के देव रहते हैं।
प्रश्न- व्यन्तरवासी देव कहाँ रहते हैं?
उत्तर- रत्नप्रभा पृथ्वी के खरभाग में व्यन्तर देवों के सात भेद रहते हैं और पंक भाग में राक्षस जाति के व्यन्तर देवों के निवास हैं। वैसे तीनों लोकों में व्यन्तर देवों के निवास हैं जहाँ सरोवर, पर्वत,नदी, भवन आदि में वे रहते हैं।
प्रश्न- कल्पवासी देव कहाँ रहते हैं?
उत्तर- कल्पवासी देव सोलह स्वर्गों में रहते हैं।
प्रश्न- ज्योर्तिवासी देव कहाँ रहते हैं?
उत्तर- ढ़ाई द्वीप और दो समुद्रों में ज्योतिषी देव निरन्तर गमन करते हैं।
प्रश्न- देवों के दस भेद कौन से हैं?
उत्तर- इन्द्र, सामानिक, त्रायस्त्रिंश, पारिषद, आत्मरक्ष, लोकपाल, अनीक, प्रकीर्णक, आभियोग्य और किविल्षक ये देवों के १० भेद होते हैं।
प्रश्न- भवनवासी के दस भेद बतावें?
उत्तर- असुरकुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, द्वीपकुमार, दिक्कुमार, उदधिकुमार, स्तनिकुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार और वायुकुमार ये भवनवासी देवों के दस भेद हैं।
प्रश्न- व्यंतरों के भेद बतावें?
उत्तर- व्यंतर देवों के आठ भेद हैं-किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गंधर्व, यक्ष, भूत, पिशाच, और राक्षस।
प्रश्न- ज्योतिष्क के कितने भेद हैं?
उत्तर- ज्योतिष्क देवों के पाँच भेद हैं- सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, नक्षत्र और तारा
प्रश्न- १६ स्वर्गों के ऊपर क्या है?
उत्तर- १६ स्वर्गों के ऊपर नव ग्रैवेयक, नव अनुदिश, पाँच अनुत्तर है और उन सबके ऊपर सिद्धशिला है जहाँ अनंतानंत सिद्ध भगवान विराजमान हैं।
प्रश्न- लौकान्तिक देव कौन से स्वर्ग में होते हैं?
उत्तर- लौकान्तिक देव ब्रह्म नामक पंचम स्वर्ग में रहते हैं।
प्रश्न- दो भव धारण कर मोक्ष जाने वाले कौन से देव होते हैं?
उत्तर- विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित स्वर्ग के देव दो भव धारण कर मोक्ष जाने वाले हैं।
प्रश्न- कौन से देव वाहन बनते हैं?
उत्तर- अभियोग्य जाति के देव वाहन बनते हैं।
प्रश्न- देव मरकर कौन सी गति में जन्म लेते हैं?
उत्तर- देव मरकर मनुष्य और तिर्यंच गति में जन्म ले सकता है।
प्रश्न- सौधर्म इन्द्र कौन से स्वर्ग में होता है?
उत्तर- सौधर्म इंद्र प्रथम स्वर्ग ‘सौधर्म स्वर्ग’ में होता है।
प्रश्न- सौधर्म इन्द्र के हाथी का नाम बताओ?
उत्तर- सौधर्म इन्द्र के हाथी का नाम ‘ऐरावत’ है।
प्रश्न- सिद्धशिला का व्यास कितना है?
उत्तर- सिद्धशिला का व्यास ४५ लाख योजन है।
प्रश्न- भवनवासी के गृहों में अकृत्रिम चैत्यालय कितने हैं?
उत्तर- भवनवासी के गृहों में ७७२००००० प्रमाण जिनमंदिर हैं जिनमें १०८-१०८ जिनप्रतिमाऐं हैं।
प्रश्न- स्वर्ग के देवों के कितने ज्ञान होते हैं?
उत्तर- स्वर्ग के देवों के ३ ज्ञान होते हैं, वे ज्ञान-मति, श्रुत, अवधि।
प्रश्न-मोक्ष कौन-कौन से क्षेत्र में होता है?
उत्तर मोक्ष भरत, ऐरावत और विदेह क्षेत्र में होता है।
प्रश्न- देवों की कितनी इन्द्रियाँ होती हैं?
उत्तर- देवों की पाँच ही इन्द्रियाँ होती है।
Answer:
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