तीन श्रेणियां कौन सी थी इन का आरंभ कहां से हुआ था
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श्रेणियाँ (Guild गिल्ड) मूलत: शिल्पकारों (craftsmen) और व्यापारियों के संघ होती थीं। इनका लक्ष्य था सदस्यों की सहायता करना। मध्यकालीन युग में श्रमविभाजन सरल था। बड़े बड़े पेचीदे हथियारों के स्थान पर सरल हथियारों का प्रयोग होता था। नगर औद्योगिक समुदायों के केंद्र होते थे। वहाँ दस्तकारी की वस्तुएँ तैयार होती थीं। वहाँ के रहनेवाले शिल्पकार श्रेणियों में संगठित थे। तत्कालीन आर्थिक संगठन में इन श्रेणियों का महत्वपूर्ण स्थान था। पेशे के आधार पर ही इनका संगठन होता था। एक श्रेणी के लोग एक ही प्रकार का पेशा करते थे। पेशे के लिए आवश्यक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था इन्हीं श्रेणिययों के हाथ में थी। ये श्रेणियाँ ऐसे लोगों को भी रखती थीं जो दूर दूर के गाँवों तथा बाजारों में जाकर दस्तकारी की वस्तुओं को बेचते थे। इनका लक्ष्य केवल सदस्यों के हितों की रक्षा करना ही नहीं होता था बल्कि इनका महत्व कला के ऊँचे स्तर को कायम रखने तथा उनके उचित मूल्य के निर्धारण के दृष्टिकोण से भी था। सदस्यों के परिवार के अन्य सदस्य भी उसी पेशे में लग जाते थे। इस प्रकार पुश्त-दर-पश्त उत्तराधिकार के रूप में ज्ञान पहुंचता था।श्रेणियाँ (Guild गिल्ड) मूलत: शिल्पकारों (craftsmen) और व्यापारियों के संघ होती थीं। इनका लक्ष्य था सदस्यों की सहायता करना। मध्यकालीन युग में श्रमविभाजन सरल था। बड़े बड़े पेचीदे हथियारों के स्थान पर सरल हथियारों का प्रयोग होता था। नगर औद्योगिक समुदायों के केंद्र होते थे। वहाँ दस्तकारी की वस्तुएँ तैयार होती थीं। वहाँ के रहनेवाले शिल्पकार श्रेणियों में संगठित थे। तत्कालीन आर्थिक संगठन में इन श्रेणियों का महत्वपूर्ण स्थान था। पेशे के आधार पर ही इनका संगठन होता था। एक श्रेणी के लोग एक ही प्रकार का पेशा करते थे। पेशे के लिए आवश्यक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था इन्हीं श्रेणिययों के हाथ में थी। ये श्रेणियाँ ऐसे लोगों को भी रखती थीं जो दूर दूर के गाँवों तथा बाजारों में जाकर दस्तकारी की वस्तुओं को बेचते थे। इनका लक्ष्य केवल सदस्यों के हितों की रक्षा करना ही नहीं होता था बल्कि इनका महत्व कला के ऊँचे स्तर को कायम रखने तथा उनके उचित मूल्य के निर्धारण के दृष्टिकोण से भी था। सदस्यों के परिवार के अन्य सदस्य भी उसी पेशे में लग जाते थे। इस प्रकार पुश्त-दर-पश्त उत्तराधिकार के रूप में ज्ञान पहुंचता था।