तू ना थके का कभी स्पष्ट किजिए
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इन पंक्ति का आशय यह है कि जब कठिन रास्ते पर चलना हो तो मनुष्य को एक प्रतिज्ञा करनी चाहिए। वह कभी नहीं थकेगा, कभी नहीं रुकेगा और कभी पीछे नहीं मुड़ेगा।
dhruvantil23:
Thanks its very useful for me
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