तृृणात् बहुतरं किम् अस्ति ?
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Answer:I hope is a right answer
प्रश्न: तृृणात् बहुतरं किम् अस्ति ?
उत्तर: यह शलोक यक्ष और युधिष्टर के बीच संवाद का हिस्सा है और प्रस्तुत शलोक के माध्यम से यक्ष युधिष्टर से कुछ प्रश्न पूछता है –
यक्ष प्रश्नः हवा से भी तेज चलने वाला कौन है?
युधिष्ठिर उत्तरः मन।
टिप्पणी : मन की गति निरंतर जारी है। इसकी गति को समझ पाना मुश्किल है। मन की गति से कहीं भी पहुंचे वाले देवी और देवताओं के बारे में हमने पढ़ा है। सिर्फ किसी स्थान के बारे में सोचकर ही वहां पहुंच जाते थे। हमारा मन भी यहां बैठे बैठे संपूर्ण धरती का एक क्षम में चक्कर लगा सकता है। मानव मन में 24 घंटे में लगभग साठ हजार विचार आते हैं। फिर यक्ष पूछता है कि “तृणात् बहुतरं किम् अस्ति ?” अर्थात “घास से संख्या में अधिक चीज क्या है?
इस पर युधिष्ठिर उत्तर देते है कि “चिंता तृणात् बहुतरी अस्ति”। अर्थात चिंता घास के हजारो तिनकों से भी बढ़ी अधिक चीज़ है।