Hindi, asked by aditithakur87, 11 months ago

तिनके पर कविता या दोहे
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Answered by shishir303
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तिनके पर कविता....

तिनका तिनका जोड़कर, बन जाता है नीड़।

अगर मिले नेत्तृत्व तो, ताकत बनती भीड़॥

ताकत बनती भीड़, नये इतिहास रचाती।  

जग को दिया प्रकाश, मिले जब दीपक, बाती॥

'ठकुरेला' कविराय, ध्येय सुन्दर हो जिनका।

रचते श्रेष्ठ विधान, मिले सोना या तिनका॥

— त्रिलोक सिंह ठुकरेला

तिनके पर दोहा...

तिनका कबहुं ना निंदए, जो पांव तले होए।

कबहुं उड़ अंखियन पड़े, पीर घनेरी होए॥

— कबीरदास

Answered by bhatiamona
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Answer:

तिनके पर दोहे

तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय। कबहुँ उड़ अंखियन पड़े, पीर घनेरी होए॥

अर्थ : कबीर कहते हैं कि एक हमें अपने जीवन में छोटे से तिनके की भी कभी निंदा नहीं करनी चाहिए , हब यही तिनका हमारे  पांवों के नीचे दब जाता है , यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिर जाता है  तो बहुत  गहरी पीड़ा होती है | इसी हमें हमेशा किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए |

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