तोप कविता का प्रतिपादय लिखिए।
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प्रतीक' अर्थात निशानी और 'धरोहर' अर्थात विरासत दो तरह की होती हैं । एक वे जिन्हें देखकर या जिनके बारे में जानकर हम अपने देश और समाज की प्राचीन उपलब्धियों के बारे में जान सकते हैं और दूसरी वे जो हमें बताती हैं कि हमारे पूर्वजों से कब क्या गलती हुई थी जिसके कारण देश की कई पीढ़ियों को गहरे दुःख और कष्टों को झेलना पड़ा।
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प्रस्तुत पाठ में ऐसी ही दो निशानियों का वर्णन किया गया है। पाठ हमें याद दिलाता है कि कभी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत में उसका स्वागत किया गया था परन्तु धीरे - धीरे वो हमारी शासक बन गई।
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अगर उन्होंने कुछ बाग़ - बगीचे बनाये तो उन्होंने तोपें भी तैयार की। देश को फिर से आज़ाद करने का सपना देखने वाले जाबाजों को इन तोपों ने मौत के घाट उतार दिया। पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उस सत्ता को उखाड़ फैंका। तोप को बेकार कर दिया। फिर भी हमें इन निशानियों के माध्यम से याद रखना होगा की भविष्य में कोई और इस तरह हम पर हुक्म ना जमा पाए जिसके इरादे अच्छे ना हो और यहाँ फिर से वही परिस्थितियाँ बने जिनके घाव आज तक हमारे दिलों में हरे हैं। भले ही अंत में उनकी तोप भी उसी काम क्यों ना आये जिस काम इस पाठ की तोप आ रही है।