Hindi, asked by tyadav8779, 9 months ago

टिप्पणी कीजिए :गरबीली गरीबी भीतर की सरिता बहलाती सहलाती आत्मीयता ममता के बादल​

Answers

Answered by Anonymous
9

Answer:

issme hume kya karna hai

Answered by Minmochi
8

Explanation:

गरबीली गरीबी: गरीबी अपने आप में अभिशाप है लेकिन कभी अपनी गरीबी पर भी गर्व करता है।कवि का विचार है कि गरीब व्यक्ति ही ऐश्वर्या और अमीरों के सुख का मूल्यांकन कर सकता है। कवि ने गरीबी को अपने गले लगाया है और बाधाओं तथा मुसीबतों को स्वतंत्रता पूर्वक अंगीकार किया है। उसे गरीब होने का कोई दुख नहीं है इसलिए वह गरीबी को गरबीली गरीबी कहता है।

भीतर की सरिता: कवि का विचार है कि मानव मन से ही विभिन्न प्रकार के विचारों तथा भावों का प्रवाह टूटता है। कवि के अंतर्मन से यह मौलिक विचार उत्पन्न होकर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत होते हैं, इसलिए कबीर विचारों के प्रवाह को भीतर की सरिता की संज्ञा देता है।

बहलाती सहलाती आत्मीयता: इस आत्मीयता का अभिप्राय यह है कि मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए में अनेक लोगों से अपने संबंध स्थापित करता है। जब मनुष्य पर कोई कष्ट आता है तो उसके आत्मजनी उसे बुलाते हैं, सहलाते हैं और उसके घावों पर प्रेम रूपी मलहम लगाते हैं।ये आत्मीयता ही मानव को प्रतिकूल परिस्थितियों मे बहलाती है और सुख देने का प्रयास करती है।

ममता के बादल : यह कवि ने ममता पर बादलों का अभेद आरोप किया है। बादल अपनी वर्षा से पृथ्वी को हरा भरा कर देते हैं उसी प्रकार ममता अर्थात् प्रेम प्रियजन को आनंद प्रदान कर उसे सुख देती है। ममता हमारे जीवन में खुशियां भर देती है, लेकिन प्रस्तुत कविता में ममता रुपी बादल भी दुःखदायी प्रतीत होते हैं।

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