टीपू सुल्तान के बारे में आप क्या समझते हैं
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Sanspareils Greenlands, commonly known by the abbreviation SG, is an Indian cricket equipment manufacturer. Its balls are used in Test cricket and in the Ranji Trophy in India.
Parent: Sanspareils Greenlands Pvt. LTD
Subsidiaries: SG infrastructure SG sportswear
Headquarters: Meerut, Uttar Pradesh, India
Products: Cricket and sports Equipment
Tipu Sultan History: मैसूर के टाइगर नाम से प्रसिद्ध टीपू सुल्तान अंग्रेजों के खिलाफ युद्धों में अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं। मैसूर के सुल्तान हैदर अली के सबसे बड़े बेटे के रूप में, टीपू सुल्तान 1782 में अपने पिता की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठे थे। शासक के रूप में, उन्होंने अपने प्रशासन में कई नई चीजों को लागू किया और लौह-आधारित मैसूरियन रॉकेट का भी विस्तार किया, जिसे दुनिया का पहला रॉकेट कहा जाता है। उनके पिता के फ्रांसीसी के साथ राजनायिक संबंध थे, जिसके कारण टीपू सुल्तान को फ्रांसीसी अधिकारियों से सैन्य प्रशिक्षण भी मिला था। शासक बनने के बाद, अंग्रेजों के खिलाफ उन्होंने फ्रांसीसी के साथ मिलकर अपने संघर्ष में पिता की नीति को जारी रखा।
इसलिए पड़ा मैसूर का टाइगर नाम
टीपू सुल्तान का एक नाम और है, उन्हें मैसूर के टाइगर के नाम से भी बुलाया जाता है। उन्होंने टाइगर को अपने शासन के प्रतीक के रूप में अपनाया था। इतिहास के अनुसार एक बार टीपू सुल्तान एक फ्रांसीसी मित्र के साथ जंगल में शिकार कर रहे थे, तब वहां बाघ उनके सामने आ गया था, उनकी बंदूक काम नहीं कर पाई और बाघ उनके ऊपर कूद गया और बंदूक जमीन पर गिर गयी। वह बिना डरे, कोशिश करके बंदूक तक पहुंचे, उसे उठाया और बाघ को मार गिराया। तबसे उन्हें मैसूर का टाइगर नाम से बुलाया जाने लगा।
टीपू सुल्तान खुद को नागरिक टीपू कहा करते थे
- टीपू सुल्तान का पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान साहब था। ये नाम उनके पिता ने रखा था।
- टीपू सुल्तान एक बादशाह बन कर पूरे देश पर राज करना चाहते थे, लेकिन उनकी ये इच्छा पूरी नही हुई।
- टीपू सुल्तान ने 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के विरुद्ध पहला युद्ध जीता था।
- टीपू सुल्तान के शासन काल में तीन बड़े युद्ध हुए और तीसरे युद्ध में वे वीरगति को प्राप्त हुए।
- कुछ ऐतिहासिक किताबों में इस बात का जिक्र मिलता है कि टीपू सुल्तान की 4 पत्नियां थीं।
- टीपू सुल्तान की पहली लड़ाई द्वितीय आंग्ल-मैसूर थी जिसमें उन्होंने मंगलौर की संधि के साथ युद्ध को समाप्त किया और सफलता हासिल की।
- टीपू सुल्तान की तलवार पर रत्नजड़ित बाघ बना हुआ था। बताया जाता हैं कि टीपू की मृत्यु के बाद ये तलवार उसके शव के पास पड़ी मिली थी।
- 1782 में टीपू के पिता की मृत्यु के बाद 1783 में अंग्रेजों ने कोयंबटूर पर कब्जा कर लिया था। लेकिन 1784 में टीपू ने फिर अंग्रेजों से मैंगलोर वापस ले लिया। ईस्ट इंडिया कंपनी और टीपू के बीच वार्ता के बाद मार्च 1784 में मंगलौर की संधि सम्पन्न हुई।
- उनकी सेना का साप्ताहिक बुलेटिन जाम-ए-जहां नुमा 1823 में शुरू किया गया था। यह एक उर्दू अखबार था।
- टीपू सुल्तान की तलवार का वजन 7 किलो 400 ग्राम है। आज के समय में टीपू की तलवार की कीमत 21 करोड़ रुपये है।
- टीपू सुल्तान दुनिया के पहले रॉकेट अविष्कारक थे। ये रॉकेट आज भी लंदन के एक म्यूजियम में रखे हुए हैं। अंग्रेज इन्हें अपने साथ ले गए थे।
- टीपू सुल्तान की 12 संतानें थीं।
- पालक्काड किला आज भी टीपू का किला नाम से भी प्रसिद्ध है। यह पालक्काड टाउन के मध्य भाग में स्थित है, इसका निर्माण 1766 में किया गया था। यह किला भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण के अंतर्गत संरक्षित स्मारक है।