तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशील था पर क्या प्रभाव पड़ता है पूर्णिमा और हिंदी में बताएं
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उत्तर: तापमान बढ़ने पर लवण की घुलनशीलता बढ़ जाती है। उत्तर: जिस विलयन में दिए गये तापमान पर विलेय की अतिरिक्त मात्रा को घोलना असंभव हो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं। इसके लिए ऊपर दिए गए टेबल से सोडियम क्लोराइड का उदाहरण लेते हैं।
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तापमान बढ़ने पर लवण की घुलनशीलता बढ़ जाती है। उत्तर: जिस विलयन में दिए गये तापमान पर विलेय की अतिरिक्त मात्रा को घोलना असंभव हो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं।
Explanation:
तापमान बढ़ने पर लवण की घुलनशीलता बढ़ जाती है। उत्तर: जिस विलयन में दिए गये तापमान पर विलेय की अतिरिक्त मात्रा को घोलना असंभव हो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं।
जब किसी ठोस का तापमान बढ़ाया जाता है तो उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। गतिज ऊर्जा बढ़ने के कारण कण तेजी से कंपन करने लगते हैं। जब ऊर्जा इतनी अधिक हो जाती है कि कण आपस के आकर्षण बल को पार कर जाते हैं तो एक दूसरे से अलग होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में पदार्थ अपनी ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में चला जाता है। ठोस के गैस में बदलने की प्रक्रिया को संगलन कहते हैं। जिस न्यूनतम तापमान पर कोई ठोस द्रव में बदल जाता है उसे उस ठोस का गलनांक कहते हैं।
जब किसी ठोस गर्म किया जाता है तो उसका तापमान बढ़ने लगता है। लेकिन जब ठोस गलने लगता है उस समय उसके तापमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है। ऐसे समय में जो भी अतिरिक्त ऊष्मा मिलती है उसका इस्तेमाल ठोस को द्रव में बदलने के लिये किया जाता है। इसलिए संगलन के समय तापमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा: वायुमंडलीय दाब पर 1 किग्रा ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिये जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है उस ऊष्मा को उस ठोस के संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा कहते हैं।
जब किसी द्रव को गर्म किया जाता है तो उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाने के कारण एक दूसरे से दूर होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में पदार्थ अपनी द्रव अवस्था से गैसीय अवस्था में चला जाता है।
क्वथनांक: वायुमंडलीय दबाव पर वह तापमान जिसपर किसी द्रव का वाष्पीकरण शुरु हो जाता है उस द्रव का क्वथनांक कहलाता है।
वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा: वायुमंडलीय दाब पर 1 किग्रा जल को उसके क्वथनांक पर वाष्प में बदलने के लिए जरूरी ऊष्मा को जल के वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा कहते हैं।
ऊर्ध्वपातन: जब कोई ठोस (द्रव अवस्था में गये बिना) सीधे गैस बन जाता है तो इस प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं। यानि गैस से सीधे ठोस में बदलने की प्रक्रिया को भी ऊर्ध्वपातन कहते हैं। उदाहरण: अमोनियम क्लोराइड तथा कपूर को खुले में छोड़ देने से उनका ऊर्ध्वपातन हो जाता है। ऐसा ही ठोस कार्बन डाइऑक्साइड के साथ होता है।
दाब परिवर्तन का प्रभाव: जब किसी गैस पर दाब बढ़ाया जाता है वह द्रव अवस्था में चली जाती है। इसी तरह जब किसी द्रव पर दाब बढ़ाया जाता है तो वह ठोस अवस्था में चला जाता है।
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