टॉर्च बेचने वाले रचना में किस पर व्यंग प्रहार किया गया है
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उनका समग्र साहित्य परसाई रचनावली के रूप में छह भागों में प्रकाशित है। यहाँ संकलित रचना टार्च बेचनेवाले में टॉर्च के प्रतीक के माध्यम से परसाई ने आस्थाओं के बाज़ारीकरण और धार्मिक पाखंड पर प्रहार किया है।
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परसाई जी ने टॉर्च बेचने वाले दो मित्रों के माध्यम से समाज में घटित अंधविश्वास रूढ़ियों पर कुठाराघात करने के लिए अपने सशक्त हास्य और व्यंग्य के माध्यम से समाज पर तीव्र प्रहार किया है। दो मित्रों में से एक टॉर्च बेचते बेचते प्रवचन कर्ता बन जाता है , तो दूसरा संतों की वेशभूषा में भोली जनता की आत्मा और अंधेरे को दूर करने की बात करता है। आत्मा के उजाले के लिए लोगों को संसार का घना अंधकार दिखाकर भय पैदा कर देता है। इस प्रकार रचना के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास और तथाकथित धर्माचार्य पाखंडीयों पर कड़ा प्रहार किया है।
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