तिरंगे में अशोक चक्र का क्या महत्व है?
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सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर प्रायः एक चक्र बना हुआ है। इसे अशोक चक्र कहते हैं। यह चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है। उदाहरण के लिए सारनाथ स्थित सिंह-चतुर्मुख एवं अशोक स्तम्भ पर अशोक चक्र विद्यमान है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को स्थान दिया गया है।
अशोक चक्र में चौबीस तीलियां हैं वे मनुष्य के अविद्या से दुरूख बारह तीलियां और दुरूख से निर्वाण बारह तीलियां की अवस्थाओं का प्रतिक है।अशोक चक्र, सम्राट अशोक के समय से शिल्प कलाओं के माध्यम से अंकित किया गया था। धर्म-चक्र का अर्थ भगवन बुद्ध ने अपने अनेक प्रवचनों में अविद्या से दूरूख तक बारह अवस्थाये और दूरूख से निर्वाण की बारह अवस्थाएं बताई है।
ये है राष्ट्रीय ध्वज पर अंकित अशोक चक्र मेँ 24 तीलियोँ का प्रत्येक भारतीय के जीवन मेँमहत्व
सम्राट अशोक ने प्रत्येक नागरिक को खुश रहने के लिये 2 मुख्य बिन्दु बताये ।
-न अधिक तेज
-न अधिक धीमा
सम्राट अशोक के द्वारा बताये गये जीवन के 4 प्रमुख कारण बताये ।
-दुनिया मेँ दुःख है।
- दुःख का कारण है।
- कारण का निवारण है।
-निवारण के प्रति प्रयास करना।
सम्राट अशोक ने अपने राजतंत्र मेँ 8 महत्व पूर्ण बाते समाज के सामने रखी।
- सबको शिक्षा ।
- सबको सम्मान ।
- सबको मानसिक स्वतंत्रता ।
- सबको रोजगार ।
- सबको न्याय ।
- सबको चिकित्सा ।
- सबको कर्त्वयोँ के प्रति जागरुक रहना ।
- सभी को रास्ट्र के प्रति समर्पित ।
सम्राट अशोक ने जीवन मेँ अपनाने हेतु 10 महत्वपूर्ण नियम बताये ।
- सभी के प्रति दया भाव
- सभी के प्रति करुणा मैत्री
- सभी के प्रति शान्ति के लिये अग्रसर होना ।
- सभी के प्रति उन्नति के लिये कार्य करना ।
- सभी के प्रति क्षमा भाव होना
- अपनी आय का कुछ अंश सामाजिक उन्नति मेँ व्यय करना ।
- अपने पारिवारिक जीवन का निर्वाह करना ।
- अपनी उन्नति से किसी की अवनति ना करना ।
- अपने द्वारा किसी को सामाजिक, मानसिक पीड़ा न पहुचाना ।
- अपने स्वास्थ के प्रति सचेत ।
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