तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह! देख विषमता तेरी मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!kedi or KOKILA chapter 12
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तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!
व्याख्या :
काव्य सौंदर्य : ‘कैदी और कोकिला’ कविता की इन पंक्तियों का काव्य सौंदर्य है कि कवि स्वयं तथा कोयल के जीवन की विषमताओं की ओर संकेत कर रहा है। कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से अनेक तरह की तुकबंदियों का प्रयोग करके अपने तथा कोयल के जीवन की तुलना की है।
तेरे तेरी मेरी में अनुप्रास अलंकार की छटा प्रयुक्त हो रही है कवि की भाषा ही सरल है।
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