तेरे गीत कहावे वाह रोना भी है मुझे गुनाह देख विषमात तेरी मेरी बजा रही तिस पर रणभेरी
भाव स्पष्ट कीजिए ।
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काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए -
तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!
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भाव-सौंदर्य - यहाँ पर कवि और कोयल के जीवन का तुलनात्मक वर्णन हुआ है। कवि ने अपने तथा कोयल के जीवन की विषमताओं की ओर संकेत किया है।
शिल्प-सौंदर्य -कवि ने यहाँ तुकबंदी का प्रयोग किया है। तेरी मेरी, वह गुनाह में स्वर मैत्री तथा अनुप्रास अलंकार है। सरल भाषा का प्रयोग किया है।
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