"तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफ़िर जाग ज़रा।" उपरोक्त पंक्ति का अर्थ क्या है।
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कातिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातिया शुरू हो गई जो फागुन तक चली। विशेष अर्थ : यहाँ गोदी में पियवा वाली पूरी पंक्ति का तात्पर्य है - हमारे हृदय में परमात्मा रहते है और हम जीवन भर इस बात से अनजानी रहते हैं कि हम अकेले हैं और सारी चुनौतियों का सामना हमें अकेले ही करना है
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