त्रिजटा राक्षसी कैसी थी?
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त्रिजटा रामायण की एक पात्रा हैं। त्रिजटा मुख्य साध्वी, राक्षसी प्रमुख थी। मन्दोदरी ने सीताजी की देख-रेख के लिए उसे विशेष रूप से सुपुर्द किया था। वह राक्षसी होते हुए भी सीता की हितचिंतक थी। रावन के बाहर होने पर लंका की सत्ता मन्दोदरी के हाथ में थी तथा मन्दोदरी ने सीता के साथ रावन को महल में प्रवेष की अनुमति नहीं दिया।
विभीषण की पुत्री त्रिजटा की सम्पूर्ण कथा?*
त्रिजटा नाम राच्छसी एका।*
राम चरन रति निपुन बिबेका॥*
श्री रामचरित मानस के छोटे-से-छोटे पात्र भी विशेषता संपन्न है। इसके स्त्री पात्रों में त्रिजटा एक लधु स्त्रीपात्र है । यह पात्र आकार में जितना ही छोटा है, महिमा में उतना की गौरावमण्डित है।
सम्पूर्ण ‘मानस’ में केवल सुन्दरकाण्ड और लंका काण्ड में सीता-त्रिजटा संवाद के रूपमें त्रिजटा का वर्णन आया है परंतु इन लघु संवादो में ही त्रिजटा के चरित्र की भारी विशेषताएँ निखर उठी हैं।
छोटेसे वार्ताप्रसङ्गमें भी सम्पूर्ण चरित्र को समासरूप से उद्भासित करने की क्षमता पूज्यपाद गोस्वामी तुलसीदासजी की विशेषता है । मानस के सुन्दरकाण्ड की एक चौपाईं में त्रिजटा का स्वरूप इस प्रकार बतलाया गया है :
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Answer:
त्रिजटा लंका में सभी राक्षसियो की प्रमुख थी। राक्षशी होते हुआ भी वह एक उत्तम विचारों वाली अच्छी महिला थी जो की सदैव सीता माता के हित के बारे में सोचती थी।