तुर्की आक्रमण के पूर्व संध्या पर उतरी भारत की स्थिति कैसी थी
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मुस्लिम आक्रमण के समय भारत में एक बार पुनः विकेन्द्रीकरण तथा विभाजन की परिस्थितियाँ सक्रिय हो उठी थी। इस समय देश की स्थिति वैसी ही थी जैसी कि किसी भी शक्तिशाली साम्राज्य के पतन के बाद हो जाती है। स्वदेशी शक्तियों के साथ ही साथ मुल्तान तथा सिंध के भागों में दो विदेशी राज्य भी स्थापित हो चुके थे। संपूर्ण देश अनेक छोटे-बङे राज्यों में विभक्त था, जो एक दूसरे के मूल्य पर अपनी शक्ति एवं साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे।
उत्तरी-पश्मिची भाग में यह भारत का पहला महत्त्वपूर्ण हिन्दू राज्य था, जो चिनाब से लेकर हिन्दुकुश तक फैला हुआ था। शाहीवंश ने दो सदियों तक सफलतापूर्वक अरबों का प्रतिरोध किया था। शाहीवंश का अंतिम शासक लघुतुरमान हुआ जिसके समय में उसके ब्राह्मण सचिव कल्लर ने राजसत्ता पर अधिकार कर लिया। मुस्लिम आक्रमण के पूर्व यहाँ जयपाल शासन कर रहा था। वह एक वीर योद्धा तथा कुशल शासक था। उसकी राजधानी उदतभांडपुर (सिंध के दक्षिण किनारे पर स्थित ) में थी। यह राज्य मुस्लिम आक्रमण का प्रथम शिकार हुआ।
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