तुर्की सुल्तानों की भू-राजस्व प्रणाली की चर्चा कीजिए।
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Explanation:
इस्लाम में, एक राज्य इस्लामी राज्य, एक ग्रंथ कुरान, एक धर्म इस्लाम और एक जाति मुसलमान की अवधारणा है। मुहम्मद पैगम्बर के बाद प्रारंभ में चार खलीफा हुये- हजरत अबूवक्र, हजरतउमर, हजरत उस्मान ओर हजरत अली। प्रारंभ में खलीफा का चुनाव होता था किन्तु आगे चलकर खलीफा का पद वंशानुगत हो गया। 661 ई. में उम्मैया वंश खलीफा के पद पर प्रतिष्ठित हुआ और उसका केन्द्र दमिश्क (सीरिया) था। 750 ई. में अब्बासी खलीफा स्थापित हुए और उनका केन्द्र बगदाद था।। 1253 ई. में चंगेज खाँ के पोते हलाकू खाँ ने बगदाद के खलीफा की हत्या कर दी। फिर खलीफा की सत्ता का केन्द्र मिस्र हो गया। अब खलीफा के पद के कई दावेदार हो गये थे, यथा स्पेन का उम्मैया वंश, मिश्र का फातिमी वंश और बगदाद के अब्बासी वंश। प्रारंभ में एक ही इस्लाम राज्य था। किन्तु आगे चलकर विभिन्न क्षेत्रों के गवर्नर व्यवहारिक बातों में स्वतंत्र होने लगे। अत: इस्लाम की एकता को बनाये रखने के लिये खलीफा ने उन गवर्नरो को शासन करने का सनद देना शुरू किया। सनद प्राप्त करने वाले गवर्नर सुल्तान कहे जाने लगे। सैद्धान्तिक रूप से खलीफा ही भौतिक एवं आध्यात्मिक प्रधान होता था और सुल्तान उसका नायब होता था किन्तु व्यवहारिक बातों में सुल्तान स्वतंत्र होता था।
इल्तुतमिश दिल्ली का प्रथम वैधानिक सुल्तान था। मुहम्मद बिन तुगलक ने 1347 ई. में खलीफा से सनद प्राप्त की थी। फिरोज तुगलक मुस्लिम भारत का प्रथम सुल्तान था जिसने अपने सिक्कों पर खलीफा का नायब खुदवाया। अपने शासन-काल के अतिम 6 वर्षों में उसने खलीफा से दो बार सनद प्राप्त की। मुबारक शाह खिल्जी दिल्ली का एक मात्र सुल्तान था जिसने अपने को खलीफा घोषित किया।
Answer:
big questions sir you should make it smalll to answer