तारों के उदित और अस्त होने के बारे में कल्पना
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तारो के प्रकाश का आधार है उनका हाइड्रोजन का भंडार जिनकी नाभिकीय अभिक्रिया से वे ऊष्मा प्राप्त करते है जो टारे अत्यधिक चमकीले है स्वभावत: वे अपने हाइड्रोजन के भंडार का अधिकाभीक उपभोग करके उसे अधिक शीघ्रता से हीलियम में परिवर्तित करते रहते हैं। यद्यपि हाइड्रोजन का भंडार समाप्त होने पर भी तारे संकोचन (contraction) द्वारा अपनी ऊष्मा उर्जा को बहुत वर्षों तक प्राप्त कर सकते हैं,
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तारों के उदित और अस्त होने के बारे में हमारी कल्पना निम्नलिखित है:
Explanation:
तारों के उदित और अस्त होने के बारे में हमारी कल्पना निम्नलिखित है:
- तारे उदित होते समय आसमान में चमकीले दिखाई देते हैं।
- जब तारे उदित होते हैं तो आसमान रूपी थाल में मोती से सजे दिखते हैं।
- वहीं तारे सूर्य उदय के साथ अस्त हो जाते हैं।
- सूर्य के तेज प्रकाश में तारों की रोशनी धीमे-धीमे कम होती जाती है और एक समय पर सूर्य की रोशनी के सामने खत्म हो जाती है
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