तारे क्यों टिमटिमाते हैं और ग्रह क्यों नहीं
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because star contain special state of matter called plasma state
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पृथ्वी के चारों ओर एक घना वायुमंडल मौजूद है, इस वायुमंडल में तरह-तरह की गेसें, धूल के कण, वाष्प के घने बादल, यहां तक की वायरस भी मौजूद है, पृथ्वी की सतह से 480 किलोमीटर तक वायुमंडल फैला हुआ है, सतह से 16 किलोमीटर ऊपर तक वायु का घनत्व अधिक होता है तथा फिर यह धीरे-धीरे कम होता जाता है.
पृथ्वी के वायुमंडल में वायु की अलग-अलग परते पाई जाती हैं इन परतों का तापमान अलग अलग होता है जब तारों से प्रकाश की किरण चलकर पृथ्वी के वायुमंडल को पार करती है तो तापमान में अंतर के कारण और धूल के कणों के कारण इनका विवर्तन हो जाता है. इसीलिए तारे हमें टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं.
ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत पास है, जिसके कारण उन्हें प्रकाश के विस्तृत स्त्रोत की भाँति माना जा सकता है। यदि हम ग्रह को बिन्दु साईज के अनेक प्रकाश स्त्रोतों का संग्रह मान लें तो सभी बिन्दु साइज के प्रकाश स्त्रोतों से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य हो जायेगा। चूँकि ग्रहों से आने वाली प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसता का मान शून्य हो जाता है, जिससे टिमटिमाने का प्रभाव निष्प्रभावित हो जाता है, और ग्रह टिमटिमाते हुए नहीं प्रतीत होते है