त्रिलोक सिह ने धनराम को क्या कहा? class 11
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Explanation:
प्रश्न. 1.
कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है?
उत्तर:
जिस समय धनराम तेरह का पहाड़ा नहीं सुना सका तो मास्टर त्रिलोक सिंह ने जबान के चाबुक लगाते हुए कहा कि ‘तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें?’ यह सच है कि किताबों की विद्या का ताप लगाने की सामथ्र्य धनराम के पिता की नहीं थी। उन्होंने बचपन में ही अपने पुत्र को धौंकनी फूंकने और सान लगाने के कामों में लगा दिया था। वे उसे धीरे-धीरे हथौड़े से लेकर घन चलाने की विद्या सिखाने लगे। उपर्युक्त प्रसंग में किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है।
प्रश्न. 2.
धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था?
उत्तर:
धनम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझता था क्योंकि –
वह स्वयं को नीची जाति का समझता था। यह बात बचपन से उसके मन में बैठा दी गई थी।
मोदन कक्षा का सबसे होशियार लड़का था। वह हर प्रश्न का उत्तर देता था। उसे मास्टर जी ने पूरी पाठशाला का मॉनीटर बना रखा था। वह अच्छा गाता था।
मास्टर जी को लगता था कि एक दिन मोहन बड़ा आदमी बनकर स्कूल तथा उनका नाम रोशन करेगा।