त्रैलोक्य विभक्ति ????
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अधि उपसर्गपूर्वक शीङ्, स्था तथा आस् धातुओं के योग में इनके आधार की कर्मसंज्ञा होती है तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति प्रयुक्त होती है। अधिशेते (सोता है) – सुरेशः शय्याम् अधिशेते। अधितिष्ठति (बैठता है) – अध्यापकः आसन्दिकाम् अधितिष्ठति। अध्यास्ते (बैठता है) – नृपः सिंहासनम् अध्यास्ते।
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