तेरे लाल मेरौ माखन खायौ।
दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूंढि-ढंढोरि आपही आयौ।
खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं, दूध-दही सब सखनि खवायौ।
ऊखल चढ़ि, सीके कौ लीन्हौ, अनभावत भुइँ मैं ढरकायौ।
दिन प्रति हानि होति गोरस की, यह ढोटा कौनैं ढंग लायौ।
सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।
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इस सवाल में क्या करना है ??
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प्रश्न को ठीक से पोस्ट करें
can't understand your question sorry dear
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सही कहा कुछ बताया ही नहीं कि क्या करना है और रोशन पोस्ट कर दिया
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