Hindi, asked by jasodha2442008, 4 months ago

तेरैं लाल मेरौ माखन खायौ।

दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढ़ूँढ़ि ढँढ़ोरि आपही आयौ।

खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं, दूध दही सब सखनि खवायौ।

ऊखल चढ़ि, सींके कौ लीन्हौ, अनभावत भुइँ मैं ढ़रकायौ।

दिन प्रति हानि होति गोरस की, यह ढ़ोटा कौनैं ढ़ँग लायौ।

सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ |

(क)  गोपियां यशोदा माँ के पास आकर क्या कहती हैं ?

(ख)  ‘तैं ही पूत अनोखो जायौ’ – पंक्ति में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?

(ग)   . मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?

(घ)   सूरदास किनके भक्त थे?

(ङ)    दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
can any one answer fastly plz

  

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Answered by Ray000777
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Answer:

Soordas bhagwan Shri Krishna ke bhakt the

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