तेरी लहरों में अंकित है संस्कृतियों का उत्थान-पतन। तुमको देखा जिंदगी हँसी तुम रूठ गईं, रूठा जीवन। .तेरी लहरों में अंकित है संस्कृतियों का उत्थान पतन तुमको देख जिंदगी हंसी तुम रूठ गई रुठा जीवन
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i dont know hindi srry
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भावार्थ:प्रस्तुत गद्माश शायमनारयण पाड्य द्वारा रचित कविता नदी से ली गई है कवि ने नदी का संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी को बताने का प्रयास किया है
कवि नदी को संबोधित हुए कहते कि ये लहरे इस में संस्कृतियों का उत्थान-पतन
का इतिहास निहित है कभी मां बनकर
जीवन दायनी का फर्ज निभाती हो तो कभी रूठ कर या रौद रूप धारण कर पलभर में हजारों की जान ले लेती हो तबाह कर देती हो
निष्कर्ष:इस गद्माश का निष्कर्ष यह है कि नदीयाँ किसी की नहीं होती कभी रूठ कर या रौद रूप धारण कर पलभर में हजारों की जान ले लेती हो तबाह कर देती हैं हज़ारों की जान ले लेती है
कवि नदी को संबोधित हुए कहते कि ये लहरे इस में संस्कृतियों का उत्थान-पतन
का इतिहास निहित है कभी मां बनकर
जीवन दायनी का फर्ज निभाती हो तो कभी रूठ कर या रौद रूप धारण कर पलभर में हजारों की जान ले लेती हो तबाह कर देती हो
निष्कर्ष:इस गद्माश का निष्कर्ष यह है कि नदीयाँ किसी की नहीं होती कभी रूठ कर या रौद रूप धारण कर पलभर में हजारों की जान ले लेती हो तबाह कर देती हैं हज़ारों की जान ले लेती है
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