तेरे-मेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा।संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥ बँटवारे ने भीतर-भीतरऐसी-ऐसी डाह जगाई। जैसे सरसों के खेतों मेंसत्यानाशी उग-उग आई ॥ तेरे-मेरे बीच कहीं है टूट-अनटूटा पतियारा।।संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥अपशब्दों की बंदनवारेंअपने घर हम कैसे जाएँ। जैसे साँपों के जंगल मेंपंछी कैसे नीड़ बनाएँ। तेरे-मेरे बीच कहीं है भूला-अनभूला गलियारा।संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥ बचपन की स्नेहिल तसवीरेंदेखें तो आँखें दुखती हैं। जैसे अधमुरझी कोंपल सेढलती रात ओस झरती है। तेरे-मेरे बीच कहीं है बूझा-अनबूझा उजियारा।संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
तेरे-मेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा’ का भाव है– *
परस्पर संबंधों में इतनी घृणा हो गई कि भाईचारा कहाँ रह गया।
(ii) जब परस्पर संबंधों में दरार आ जाती है तो भाईचारे का प्रश्न ही नहीं उठता।
(iii) परस्पर संबंधों के बीच घृणा के बीज बोए गए फिर भी भाईचारा बना रहा।
(iv) बँटवारे में घृणा के सिवाय और कुछ नहीं।
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mein hindi nahi janti english mein bolo
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arre hindi ka question h toh hindi mein hi toh bolenge
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