Hindi, asked by anshikajain98, 10 days ago

तेरेमेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा।- संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥ बँटवारे ने भीतर-भीतर ऐसी-ऐसी डाह जगाई। जैसे सरसों के खेतों में सत्यानाशी उग-उग आई तेरे-मेरे बीच कहीं है टूटा-अनटूटा पतियारा।। संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥ अपशब्दों की बँदनवारें अपने घर हम कैसे जाएँ। जैसे साँपों के जंगल में पंछी कैसे नीड़ बनाएँ। तेरे-मेरे बीच कहीं है भूला-अनभूला गलियारा। संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥ बचपन की स्नेहिल तसवीरें देखें तो आँखें दुखती हैं। जैसे अधमुरझी कोंपल से ढलती रात ओस झरती है। तेरे-मेरे बीच कहीं है बूझा-अनबूझा उजियारा। संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥ (क) कविता में किस बँटवारे की बात हो सकती है ?

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Answered by sanu8546
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Answer:

oookk

Explanation:

Answered by qwstoke
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कविता में दो भाइयों के बंटवारे की बात हो सकती है

प्रस्तुत पद्यांश " अपठित द्यांश " का एक अंश है

- इस कविता में दो भाइयों के बीच बंटवारे की बात हो रही है।

कवि का कहना है कि दोनों भाइयों के रिश्ते में दरार पड़ गई है। दोनों के रिश्ते ऐसे हो गए है कि एक दूसरे से घृणा होने लगी है।

- कवि कहते है कि बंटवारे के कारण ऐसा लगता है जैसे सरसों के खेत में सत्यानाशी उग आयी हो। दोनों भाई संबंध निभाने में हार गए ।

-कवि कहते है कि दोनों भाइयों के बीच बुझा अनबुझा उजियारा है।

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