Hindi, asked by coorgbeanandspices, 5 hours ago

तेरी पाँखों में नूतन बल,कंठों में उबला गीत तरल,
तू कैसे हाय, हुआ बंदी, वन-वन के कोमल कलाकार।
क्या भूल गया वह हरियाली अरुणोदय की कोमल लाली?
मनमाना फुर-फुर उड़ जाना, नीले अंबर के आर-पार!
क्या भूल गया बंदी हो केसुकुमार समीरण के झोंके
जिनसे होकर तू पुलकाकुल बरसा देता था स्वर हज़ार?
रे, स्वर्ण-सदन में बंदी बनयह दूध-भात का मृदु भोजन
तुझको कैसे भा जाता है, तज कर कुंजों का फलाहार!
तू मुक्त अभी हो सकता है,अरुणोदय में खो सकता है,
झटका देकर के तोड़ उसे, पिंजरे को कर यदि तार-तार!
पंछी! पिंजरे के तोड़ द्वार।
(क) कवि को किस बात का दुख है?
(ख) कवि पंछी को क्या-क्या याद दिला रहा है?
(ग) कवि पंछी को किस बात की उम्मीद दिलाकर आगे बढ़ने को कह रहा है?​

Answers

Answered by miteshkumarlko
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Answer:

नम होगी यह मिट्टी जरूर' कहकर कवि किस ओर संकेत कर रहा है? (क) प्रेम के बल पर शुष्क हृदयों में भाव भरे जा सकते हैं। (ख) वर्षा न होने के कारण सूखी मिट्टी वर्षा आने पर नम जरूर हो जाएगी। सूखी आँखें फिर आँसुओं से नम हो जाएँगी। (ग) वनों के सुख की याद

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