तेरी पत्र लिखे दसवीं कक्षा के लिए
Answers
Explanation:
hope it help you and pls mark as brainlist

Answer:
पत्र लेखन की विशेषताएं (Patra Lekhan ki visheshtayen) :-
सरलता– पत्र की भाषा सरल, सीधी स्वाभाविक तथा स्पष्ट होनी चाहिए। कठिन शब्दों या साहित्यिक भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि जटिल भाषा पत्रों को नीरस और प्रभावहीन बना देती है।
संक्षिप्तता – संक्षिप्त और गठीला पत्र प्रभावशाली होता है। अनावश्यक विस्तार पत्र में उचित नहीं है।
स्पष्टता – हमने जो भी पत्र में लिखना है यदि वह स्पष्ट और सुचारू होगा तो पत्र अधिक प्रभावशाली होगा। सरल भाषा शैली वाले शब्दों का चयन एवं वाक्य रचना की सरलता पत्र को प्रभावशाली बनाने में सहायक होती है।
प्रभावोत्पादकता – पत्र की शैली जब पाठक को प्रभावित करती है, तभी सफल कहलाती है। अपने विचारों की छाप परिमार्जित शैली ही छोड़ पाती है। इसके लिए अच्छे, शब्दों व मुहावरों के माध्यम से पत्र को प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
मौलिकता – मौलिकता भी पत्र का एक गुण होता है। पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पत्र में हम अपने विषय में कम और पत्र पढ़ने वाले के विषय में अधिक लिखें।
उद्देश्यपूर्णता – पत्र अपने आप में पूर्ण होना चाहिए। उसे पढ़ने के बाद किसी प्रकार की शंका, जिज्ञासा या स्पष्टीकरण की आवश्यकता शेष नहीं रहनी चाहिए।
पत्र प्रेषक = पत्र भेजने वाला
पत्र प्राप्तकर्ता = पत्र को पाने वाला
पत्र के अंग (Patra ke Ang) Parts of letter writing in Hindi):-
पत्र लेखन (Patra Lekhan) के समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
पत्र प्रेषक का नाम व दिनांक – यह दोनों पत्र के ऊपर दाएं कोने में लिखे जाते हैं। निजी अथवा व्यक्तिगत पत्रों में प्राय: यह नहीं लिखे जाते, किंतु व्यवसायिक और कार्यालयी पत्रों में पते के साथ-साथ प्रेषक का नाम भी लिखा जाना आवश्यक होता है।
पाने वाले का नाम व पता – प्रेषक के बाद पृष्ठ के बाई और पाने वाले का नाम व पता लिखा जाता है। नाम की जगह कभी-कभी केवल पदनाम भी लिखा जाता है। कभी-कभी नाम और पदनाम दोनों लिखे जाते हैं अर्थात पाने वाले का पूरा विवरण इस प्रकार दिया जाता है – नाम, पदनाम, कार्यालय का नाम, स्थान, शहर, जिला और पिन कोड।
विषय संकेत – औपचारिक पत्र में यह आवश्यक होता है कि जिस विषय में पत्र लिखा जा रहा है उस विषय को अत्यंत संक्षेप में पाने वाले के नाम और पते के बाद बाई ओर से विषय शीर्षक देकर लिखा जाए। इससे पत्र देखते ही मूल रूप से पत्र के विषय की जानकारी हो जाती है।
संबोधन – विषय के बाद पत्र के बाई और संबोधन सूचक शब्द का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत पत्रों में प्रिय लिखकर प्राप्तकर्ता का नाम लिख दिया जाता है ; जैसे – प्रिय भाई रमेश, प्रिय मित्र, आदरणीय चाचा जी आदि। बड़ों के लिए प्रिय के स्थान पर पूज्य, श्रद्धेय , मान्यवर, आदरणीय, माननीय आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
अभिवादन – निजी पत्थरों में बाइक और लिखे संबोधन शब्दों के नीचे थोड़ा हटकर संबंध के अनुसार उपयुक्त अभिवादन शब्द जैसे सादर नमस्ते, नमस्कार, प्रणाम आदि लिखे जाते हैं। व्यवसायिक एवं कार्यालयी पत्रों में अभिवादन शब्द नहीं लिखे जाते हैं।
मुख्य सामग्री – संबोधन के बाद पत्र की मूल सामग्री लिखी जाती है। समय, परिस्थिति और आवश्यकतानुसार विषय में परिवर्तन हो जाता है।
समापन सूचक शब्द – पत्र की सामग्री समाप्त होने के बाद बेशक कुछ समापन सूचक शब्दों का प्रयोग कर पत्रक को समाप्त करते हैं; जैसे – आपका, आपका प्रिय, आपका आज्ञाकारी, स्नेही आदि। औपचारिक पत्र में अधिकतर भवदीय लिखा जाता है।
हस्ताक्षर और नाम – समापन शब्द के ठीक नीचे भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। फिर पढ़ने में ना आने वाले हो तो हस्ताक्षर के ठीक नीचे भेजने वाले को अपना पूरा नाम अवश्य लिखना चाहिए।
संलग्नक – सरकारी पत्रों में प्रायः मूल पत्र के साथ अन्य आवश्यक कागज भी भेजे जाते हैं। इन आवश्यक कागजों को उस पत्र के संलग्न कहते हैं।
पुनश्च – कभी-कभी पत्र लिखते समय मूल सामग्री में किसी महत्वपूर्ण अंश के छूट जाने पर इसका प्रयोग किया जाता है। समापन सूचक शब्द, हस्ताक्षर, संलग्नक आदि सब कुछ लिखने के बाद कागज पर अंत में सबसे नीचे या उसके पृष्ठ भाग पर “पुनश्च” शीर्षक देकर छूटी हुई सामग्री लिख कर एक बार फिर से हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं।
I HOPE IT'S HELPFUL TO YOU....
THANK YOU...