Hindi, asked by das377631, 1 month ago

तेरा साईं तुज्झा में, ज्यों पुहुपन में बास।
कस्तूरी का मिरग ज्यों, फिर-फिर ढूँढ़े घास।।।।।
सत गुरु की महिमा अनंत, अनँत किया उपगार ।
लोचन अनंत उघाड़िया, अनँत दिखावणहार ।। 2 ।।
गुरु कुम्हार सिप कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काट्टै खोट ।
अन्तर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट ।। 3 ।।
पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ॥4॥
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर ।।5।।
जाति न पूछो साधु की, पूछि लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ।। 6 ।।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझ-सा बुरा न कोय ॥7॥
जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ।
जो बौरा डूबन डरा, रहा किनारे बैठ ।। 8 ।।​

Answers

Answered by Shayaan009
0

Answer:

from which class ? And which chapter ?

Answered by khann212021
0

Answer:

lavgdieojvr. kkhwbb. iohw nk mqlh f ksk

Similar questions